ग्वालियर। किसी भी घर की ताकत दौलत और शोहरत नहीं होती है। आज के दौर में देवरानी, जेठानी, सास-बहू एक दूसरे को देखना तक पंसद नहीं करती हैं तो समझ लो कि वह घर साक्षात नर्क है। अगर भाई-भाई के साथ है तो इससे बढ़कर माता पिता के लिए कोई पुण्य नहीं है। आप संत नहीं बन सकते हैं तो सद्गृहस्थ बनिए और घर को स्वर्ग बनाइए। यह बात मुनिश्री विहर्ष सागर महाराज ने लोहामंडी दिगंबर जैन लाला गोकुलचंद जैसवाल पंचायती मंदिर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर मुनिश्री विजयेष सागर महाराज व क्षुल्लक विश्वोत्तर महाराज भी मौजूद थे।
मुनिश्री ने कहा कि अहंकार मत करो। अहंकार किसी को जीने नहीं देता है, इससे आदमी अपना सबकुछ तबाह कर लेता है। इसी अहंकार के कारण कौरवों, कंस, रावण आदि का सबकुछ खत्म हो गया था। हमें अहंकार को त्यागने की कोशिश करना चाहिए। किसी भी बात के लिए शिकायत नहीं करों बल्कि उसके लिए धन्यवाद दो। मुनिश्री के चरणों में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष पदमचंद्र जैन, देवेन्द्र जैन, नवरंग जैन, पवन जैन, दिलीप जैन , राहुल जैन आदि ने श्रीफल अर्पित कर आशीर्वाद लिया।