ग्वालियर । शहर में तलघरों के अवैध उपयोग को रोकने की कार्रवाई कितनी कारगर रही है। जिन्हें खाली कराया है, उनमें वाहन पार्क हो रहे हैं या फिर दुकानें संचालित हैं, इसकी सच्चाई जानने अब कोर्ट कमिश्नर जाएंगे। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने जांच के लिए वकीलों की टीम गठित करने का आदेश दिया है। साथ ही निगम अधिवक्ता के तर्क पर कोर्ट ने कहा- क्या हर समय निगम को चम्मच से खिलाना पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर कलेक्टर व एसपी के उस शपथ पत्र को भी अमान्य कर दिया, जिसमें सवारी वाहनों के रुकने के स्टैंड बताए थे। कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव हो चुका है। नए एक्ट में सड़क पर स्टैंड नहीं बनाने का प्रावधान है। शपथ पत्र में जो जानकारी दी है वह 2010 के नियम अनुसार है। इस याचिका की सुनवाई अब 30 मार्च के बाद वाले सप्ताह में होगी।
मदन सिंह कुशवाह ने तलघरों के अवैध उपयोग के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में नगर निगम अधिवक्ता के तर्क पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की। अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि भवन निर्माण की अनुमति एक साल के लिए दी जाती है। उसके बाद दो साल का एक्सटेंशन किया जाता है। कोई भवन स्वामी निर्माण शुरू करता है, उसकी सूचना भवन स्वामी को निगम में देनी होती है। हमें कैसे पता चलेगा कि उसने निर्माण शुरू कर दिया है। कोर्ट ने निगम के तर्क पर कहा- ये क्या मजाक है, निगम को हर समय चम्मच से खिलाड़ा पड़ेगा। भवन अधिकारियों की कोई ड्यूटी नहीं है क्या? कोर्ट ने आदेश दिया कि आयुक्त शपथ पत्र पर भवन निरीक्षकों की ड्यूटी की जानकारी पेश करें। निगम ने कहा कि जिन 64 तलघरों में से 14 पर कार्रवाई कर दी है, 50 पर कार्रवाई होनी है। निगम ने इन तलघरों को छोड़ दिया था, जिसके चलते कोर्ट ने कार्रवाई का आदेश दिया था।
कलेक्टर-एसपी का शपथ पत्र अमान्यः हाईकोर्ट ने कलेक्टर व एसपी से टैंपो, ऑटो सहित अन्य सवारी वाहनों के खड़े होने के स्थान की जानकारी शपथ पत्र पर मांगी थी। गूगल मैप के माध्यम से समझाते हुए जानकारी पेश करनी थी। कलेक्टर ने वर्ष 2010 में उन स्टैंड की जानकारी पेश की, जिन्हें तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने मोटर व्हीकल एक्ट 1994 के तहत निर्धारित किए थे। शहर में 32 स्टैंड बताए थे। वाहन खड़े होने की संख्या भी निर्धारित है। कोर्ट ने इस शपथ पत्र को देखने के बाद सवाल किया कि वर्ष 2019 में मोटर व्हीकल एक्ट में बदलाव हो चुका है। एक्ट की धारा 117 के तहत नया नियम लागू किया गया है। अब यात्री वाहन के ठहरने का स्थान सड़क पर नहीं हो सकता। सड़क से हटकर स्टैंड होना चाहिए। ताकि सड़क के ट्रैफिक पर व्यवधान न हो। कोर्ट ने नए एक्ट के तहत कलेक्टर व एसपी को फिर से शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है। बताना है कि सवारी वाहन कहां खड़े होंगे।
ट्रैफिक पुलिस ने 59 तलघरों का किया था निरीक्षण, पाया अवैध उपयोग
ट्रैफिक पुलिस ने शहर के 59 तलघरों का निरीक्षण किया था। नगर निगम ने तलघरों का अवैध उपयोग बंद कराकर पार्किंग करने का दावा किया था। लेकिन ट्रैफिक डीएसपी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि तलघरों में पार्किंग नहीं हो रही है, अवैध उपयोग जारी है।
शुक्रवार को निगम ने अपनी रिपोर्ट में 426 तलघरों का ब्यौरा पेश किया, जिसमें कार्रवाई का रिमार्क दिया था। इस रिमार्क में के अधिकांश कॉलम में लिखा था कि जगह के अभाव में पार्किंग नहीं हो सकती है। कोर्ट ने इसे संज्ञान में लेते हुए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिए हैं। जो निगम के दावों की सच्चाई पता करें। निगम को अपने वाहन से कोर्ट कमिश्नरों को ले जाना होगा।