भितरवार। पति की दीर्घायु एवं संतान की सुख-समृद्धि की कामना के साथ विवाहित महिलाओं ने शुक्रवार को विधि-विधान से विष्णु-लक्ष्मी के साथ आंवला की पूजा की। आंवला एकादशी के उपलक्ष्य में विवाहित महिलाएं सुबह सूर्य भगवान को अर्घ्य देकर मंदिर पहुंची और सामूहिक रूप से मंगलगीत गाते हुए आंवले के वृक्ष की परिक्रमा कर पूजा पाठ की। डबरा के तहसील मंदिर परिसर में महिलाएं सुबह से ही पूजा अर्चना करने पहुंच गई थीं। वहां दिनभर महिलाओं की भीड़ पूजा के लिए लगती रही। इधर भितरवार नगर के मंदिरों में महिलाएं पूजा अर्चना करती रहीं।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे रंगभरी एवं आमलकी एकादशी भी कहते हैं, शुक्रवार को मनाई गई। सौभाग्यवती महिलाओं ने धूमधाम से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करके आंवला के पेड़ की पूजा अर्चना की। उन्होंने आंवला वृक्ष की परिक्रमा कर कच्चे सूत से धागा बांधा तथा मंगल गीत गाते हुए माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आराधना कर हल्दी, रोली, अक्षत, दूबा व केला तथा जल चढ़ाकर भगवान की आराधना की। महिलाओं ने होली के त्योहार के लिए होलिका के भी गीत गाए और भगवान भोलेनाथ को रंग-गुलाल लगाकर होली की शुरुआत की। आंवला एकादशी व्रत कथा का वाचन कर भगवान से अपने सौभाग्य एवं संतान के सुख समृद्धि की कामना की। तत्पश्चात व्रत कर रही महिलाओं ने दीपक से आंवले के वृक्ष की पूजा कर आरती उतारी एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते हुए आंवले के फल का भोग लगाया। वहीं अच्छे वर की कामना के साथ आंवला वृक्ष की पूजा की।