भितरवार। भितरवार के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में व्याप्त अव्यवस्थाओं और असुविधाओं को दुरस्त करने के लिए आए दिन होने वाले निरीक्षण में वरिष्ठ अधिकारी स्थानीय प्रबंधन को निर्देशित कर चुके हैं, लेकिन अभी तक व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो सका है। इसका खामियाजा विकासखंड की 82 ग्राम पंचायतों के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अस्पताल में पर्याप्त स्टाफ और सुविधाएं नहीं होने के कारण इलाज के लिए आने वाले मरीजों को परेशान होना पड़ता है और कई बार ओपीडी में डॉक्टरों की गैर मौजूदगी के चलते बिना इलाज के ही लौटना पड़ता है। अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को ठीक कराने के लिए स्थानीय लोग कई बार स्थानीय प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत कर चुके हैं, लेकिन लोगों को सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिल सका।
उल्लेखनीय है कि स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के रूप में विकसित कर दिया और 30 बेड की सुविधाएं उपलब्ध करा दीं। इलाज के दौरान मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए उपकरण भी उपलब्ध करा दिए, लेकिन डॉक्टर अभी तक पदस्थ नहीं हो सके हैं। अस्पताल में डॉक्टर न होने के कारण मशीनें भी धूल खा रही है। मेडिसिन डॉक्टर और गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर के पद पिछले चार-पांच साल से खाली पड़े हुए हैं, उन्हें अभी तक नहीं भरा नहीं गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों के अभाव में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस कारण उन्हें या तो निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा है या फिर ग्वालियर जाना पड़ता है। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले वृद्धजनों के ओपीडी में पर्चा बनाने के लिए अलग से विंडों नहीं बनाई गई है। इस कारण वृद्धजनों को घंटों लाइन में लगना पड़ रहा है, जबकि प्रदेश के अन्य अस्पतालों में वृद्धजनों के अलग से पर्चा बनाने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
आसपास में 250 गांव के लोग आते हैं इलाज कराने
भितरवार के सामुदायिक अस्पताल में आसपास के लगभग 250 गांवों के लोग इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं और रोजाना लगभग 200 से 250 के बीच की ओपीडी रहती है। इसके बाद भी अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं हो सकी है। अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने के कारण इलाज के आने वाले मरीजों को या तो बिना इलाज के लौटना पड़ता है या फिर किसी प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है।
महिला चिकित्सक न होने से इलाज के लिए परेशान महिलाएं
अस्पताल में पिछले चार पांच साल से महिला चिकित्सक नहीं होने के कारण प्रसूताओं को नर्सों के भरोसे ही प्रसव कराना पड़ रहे हैं। मेटरनिटी में महिला डॉक्टर नहीं होने के कारण कई बार प्रसव के दौरान स्थिति अगर बिगड़ जाती है तो नर्सों द्वारा प्रसूताओं को गंभीर हालत में ग्वालियर रेफर कर दिया जाता है। इसके साथ ही अस्पताल में हड्डी रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं हो सकी है। जबकि क्षेत्र में आए दिन लोग सड़क दुर्घटना में घायल होते रहते हैं। अस्पताल में मामूली चोट लगने पर कोई मरीज आता है तो फ्रेक्चर की आशंका के चलते ग्वालियर रेफर कर दिया जाता है। अस्पताल में एनेस्थिसिया के विशेषज्ञ का पद भी काफी समय से खाली प़ड़ा हुआ है।
खाली पड़े पदों पर नहीं हो सकी नियुक्ति
सामुदायिक अस्पताल में वर्तमान में मेडिसिन विशेषज्ञ, गायनोलॉजिस्ट, मेडिकल ऑफिसर, नेत्र विशेषज्ञ, जनरल सर्जन, एनेस्थिसिया, आर्थोपेडिक के एक-एक पद खाली हैं। इनके अलावा एमपीडब्ल्यू के 23, पर्यवेक्षक के 3, एंबुलेंस चालक का 1, स्टाफ नर्स के 2, कंपाउंडर के 2, एसीजी टेक्नीशियन का 1 पद काफी समय से खाली है। इन रिक्त पदों को भरने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पताल में लगभग 28 जांच कराने के लिए सुविधा उपलब्ध कराई गई थी, लेकिन वर्तमान में किट नहीं होने के कारण केवल 8 प्रकार की ही जांचे हो रही है।
इनका कहना है
अस्पताल में व्याप्त अव्यवस्थाओं को दुरुस्त कराया जाएगा। इसके अलावा अस्पताल में खाली पड़े पदों को भरने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वृद्धजनों के लिए ओपीडी में अलग से व्यवस्था की जाएगी।
आईपी निवारिया, नोडल अधिकारी, सामुदायिक अस्पताल भितरवार।
ओपीडी में पर्चा बनवाने के लिए मैं एक घंटे तक लाइन में लगी रही। इस कारण मुझे चक्कर आने लगे। इसके बाद भी मेरा पर्चा नहीं बन पाया।
रामदेवी बाथम, मरीज।