विधिक सेवा प्राधिकरण एवं मानसी मां बेटी समिति ने शिविर लगाया
गुना। महिला बाल विकास एवं रोटरी क्लब के सहयोग से चलाए जा रहे संरक्षति मातृत्व एवं सुपोषित शिशु गुना मॉडल मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की एक अनुपम पहल है। यदि इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन के प्रोटोकॉल के तहत गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए, तो निश्चित ही प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में बहुत हद तक कमी लाई जा सकती है। यह विचार जिला न्यायाधीश व विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश कुमार कोष्टा के आदेश से प्राधिकरण व डॉ. एलके शर्मा द्वारा चलाए जा रहे मानसी मां बेटी सेवा समिति द्वारा एमसीएच मॉडल में आयोजित विधिक साक्षारता शिविर में अपर जिला जज व प्राधिकरण सचिव एके मिश्र द्वारा व्यक्त किए गए। इस अवसर पर श्री मिश्र ने उपस्थित महिलाओं को मोटर व्हीकल एक्ट की जानकारी देते हुए बताया कि वे परिजनों को बिना वैध दस्तावेज के वाहन न चलाने दें अन्यथा जुर्माना के साथ दुर्घटना की स्थिति में आहत को क्षतिपूर्ति राशि भी देना पड़ेगी। कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी डीएस जादौन ने बताया कि शिशु के गर्भ में आने से कुल एक हजार दिन तक उसको देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है। इस अवस्था में लापरवाही कुपोषण एवं शिशु मृत्यु दर का कारण हो सकती है। कार्यक्रम में प्रशिक्षु व्यवहार न्यायाधीश ऋचा द्विवेदी ने गर्भकाल के दौरान मां को स्वयं एवं गर्भस्थ शिशु की अतिरिक्त देखभाल करने की सलाह दी तथा पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों के बारे में बताया। इसके अलावा प्रशिक्षु व्यवहार न्यायाधीश प्रीति परिहार ने गर्भवतियों को नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण कराने तथा पोषण युक्त आहार लेने की सलाह दी। जिला विधिक सहायता अधिकारी दीपक शर्मा ने निशुल्क विधिक सहायता एवं घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम के तहत किसी महिला के विरूद्ध की गई शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एवं लैंगिक हिंसा के विरुद्ध उपलब्ध विधिक उपबंधों की जानकारी दी।